Chhota Bazaar
A blog from a self-diagnosed writer.
Thursday, September 29, 2016
ख़ुदाई
·
गीली मिट्टी से सने हाथों की रौनक
,
खिली रोशनी से भरीं किरणों की ठंडक
,
चुप-चाप-सी बहती फिज़ा के पैरों की आहट
,
नादान-से मासूम नैनों के सपनों की रंगत
,
कितनी खूबसूरत तूने ये दुनिया बनाई है
,
के हर ज़र्रे से
,
है मिलती ख़ुदाई है।
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