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तेरे आँखों के काले सूरज, सफेद आसमानों में उभर कर,
जमे आसुओं की रेत पे कजरारे पावों से
चल कर,
पलकों की पगडंडियों से बने मेरे सपनों के
आँगनों में,
अपने नूर की रोशनी बिखेरे हैं,
जो तेरे नैना गिरें तो होती रातें हैं, जो उठें तो फिर खिलती सवेरें हैं,
तेरे आँखों के काले सूरज...
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