Thursday, September 29, 2016

भोर

आसमान की हांडी में,
एक कटोरी रात उबाल लो,
फिर तारों और ग्रहों का तड़का बादलों की ग्रेवी में बनाके रात में डाल दो,
अमावस से लेकर पूर्णिमा तक की चाँद की फांक काट लो,
फिर स्वादानुसार उसे भी रात में डाल दो,
इस घोल को आठ घंटे सूरज की हल्की आंच पे रखो,
तो एक नारंगी भोर तैयार होगी,
वो थोड़ी-सी गरम, थोड़ी-सी ठंडी होगी,
उस भोर को चखो, वो ज़िंदगी की भोर है,
उसके स्वाद का मज़ा ही और है,
जीवन के हर दिन की गर शुरुवात ऐसी हो तो ज़िंदगी गुलज़ार हो ।

आसमान की हांडी में एक कटोरी रात उबाल लो । 

No comments:

Post a Comment