सबकी आँखों से निकला दुख का वो ग़मगीन नज़ारा हूँ
मैं,
सबकी खुशी को बयान करता आँखों का वो इशारा हूँ
मैं,
सबकी आँखों से बही नीर की एक धारा हूँ मैं,
सबके गालों पे चमका वो टिमटिमा सितारा हूँ मैं,
कुछ पल की बस मेरी हस्ती मैं गिर के सूख जाऊँगा,
पर फिर जब दर्द का स्पर्श पाओगे,
पर फिर जब खुशी का आँचल थाम पाओगे,
मैं फिर आँखों से बहूँगा, वो आँसू तुम्हारा हूँ मैं,
सबकी आँखों से निकला दुख का वो ग़मगीन नज़ारा हूँ
मैं...
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