आँखों से निकाल के हम अपने
सपने बेचने जा रहे हैं,
सुना है बाज़ार में सपने आज
कल ख़ूब बिकते हैं,
सुना है बाज़ार में सपनों
के दाम बहुत अच्छे मिलते हैं,
आँखों से निकाल के हम अपने
सपने बेचने जा रहे हैं ।
सपना अच्छी नौकरी का हो या
सपना अच्छे घर का,
सपना अच्छे दोस्तों का हो या
सपना अच्छे परिवार का,
सपना अच्छे स्वास्थ का हो
या सपना अच्छे जीवन का,
सपना जितना ज़रूरी होगा
आपकी खुशी के लिए,
बाज़ार में उतनी ऊंची बोली
लगेगी,
सपना जितना ज़रूरी होगा
आपके ज़िंदा रहने के लिए,
बाज़ार में उतने अच्छे दाम
मिलेंगे,
आँखों से निकाल के हम अपने
सपने बेचने जा रहे हैं,
सुना है बाज़ार में सपनों
के दाम बहुत अच्छे मिलते हैं ।
सपने बेच के जो पैसा बनेगा
उससे हम झूठे सपने खरीदेंगे,
ऐसे सपने जो हमारे लिए
ज़रूरी नहीं,
ऐसे सपने जो हमारी आँखों
में दूसरों ने डालें हैं,
ऐसी सपने जो उन दूसरों की
आँखों में तीसरों ने डाले थे,
ऐसे सपने जिन्हें देखते
समय हमारी धड़कनें तेज़ नहीं होती,
ऐसे सपने जिनके स्मरण-भर
से हमें बेइंतहां खुशी नहीं होती,
हम बाज़ार में अपने सरल,
मासूम, सच्चे सपने बेच उसके बदले झूठ से सजे-धजे सपने खरीद के लाएँगे,
उन सपनों की पट्टी आँखों
में पहन के फिर उनही से दुनिया देखने लग जाएंगे,
पैसा,
शौहरत, ऐयाशी, बईमानी के सपने आज कल बाज़ार में बहुत सस्ते दाम
में मिलते हैं,
इन झूठे सपनों को पाने के
लिए दुनिया को काटना पड़ता है, ये काम आसान है,
अपने सच्चे सपनों को पाने के
लिए खुद संघर्ष करना पड़ता है, वो काम बेहद मुश्किल,
इसीलिए हम आसान राह ही
अपनाएँगे,
हम आँखों से निकाल के अपने
सपने बाज़ार में बेच आएंगे,
सुना है बाज़ार में सपनों
के दाम बहुत अच्छे मिलते हैं ।
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