Thursday, September 29, 2016

हिन्दुस्तानी

हिन्दुस्तानी

मिट्टी में मिल गए वो लेकिन माँ के चरणों में वो बस गए,
अपनी मातृ-भूमि के लिए उन्होनें दुख हँस-हँस के सहे,
मिट्टी में मिल गए वो लेकिन माँ के चरणों में वो बस गए।

दी अनेक कुर्बानियाँ, कहती है कई कहानियाँ,
आज़ाद वो पैदा हुए थे, आज़ाद ही वो मर गए,
मिट्टी में मिल गए वो लेकिन माँ के चरणों में वो बस गए।

मौक़ा मिली था उन्हें अपनी जान लुटाने का,
मौक़ा मिला था उन्हें शहीद कहलाने का,
मौक़ा मिला था उन्हें देश को आज़ाद कराने के,
देश के ख़ातिर वो शहीद हो कर, सदा के लिए अमर बन गए,
मिट्टी में मिल गए वो लेकिन माँ के चरणों में वो बस गए।

मन में उनके आरज़ू थी के कर वो कुछ दिखलाएंगे,
बाँध के सर पे कफ़न वो मौत को गले लगाएंगे,
वो लिख गए भविष्य हमारा,
अपना वर्तमान हम खुद बनाएँगे,
वो कर गए कर्म अपना,
कर्मवीर वो कहलाएंगे,
अपने लहू से माँ का आँचल वो लाल रंग का रंग गए,
मिट्टी में मिल गए वो लेकिन माँ के चरणों में वो बस गए।




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