Thursday, September 29, 2016

प्यार का आंशियाँ

मुझे प्यार का आशियाँ मिलना मुश्किल लगता है,
मैं जिस किसी से बात करूँ उसकी आँखों में अपने लिए प्यार पढ़ना मुश्किल लगता है,
यूं तो कुछ दिन कर लेता हूँ गुफ़्तु-गु उनसे,
पर शब्दों के पुलिंदों से दिलों के रास्ते जोड़ना मुश्किल लगता है।

मैं बेहद इश्क़ करना चाहता हूँ,
मैं किसी पे मारना चाहता हूँ,
मैं राँझा, रोमियो, फरहाद बनना चाहता हूँ,
मैं ये बात बेबाक करना चाहता हूँ,
पर किसी से अपना ये जुनून बयां करूँ तो कहते हैं,
तुम बेवकूफ, नासमझ, बेपरवाह समझते हो हमें जो ऐसी बातें कहते हो,
आज के ज़माने में किसी को ऐसा प्यार नहीं होता,
आज के ज़माने में ऐसा खुमार, ऐसा गुबार नहीं होता,
तुम अपनी असलियत पे आओ,
दहेज कितना चाहिए ये बताओ,
शादी करो, बच्चे करो, ज़िंदगी बिताओ,
ये प्यार-व्यार के चक्कर को भूल जाओ,
हर बार जब ये होता है तो फिर से निकलता हूँ सच्चे प्यार की खोज में,
हर बार सोचता हूँ वो एक लौता मिलने में वक़्त लगता है,

पर अब जाने क्यूँ मुझे प्यार का आशियाँ मिलना मुश्किल लगता है। 

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