Monday, September 26, 2016

पत्ता

आज सड़क पे चलते चलते मुझे एक हरा पत्ता मिला,
बड़ा दुखी था, अपने पेड़ से नाराज़ भी के क्यूँ पेड़ ने उसे गिराया,  
समझाया मैंने उसे, के इस तरह नाराज़ ना हो,
मैं पेड़ की जड़ों में फिर दूंगा उसे बो,
इस तरह अपने पेड़ का बन जाएगा फिर से हिस्सा वो,
जब पत्ते से पूछ के मुझे पेड़ का पता मिला,
तो रास्ते में बड़े सारे वैसे ही पत्ते रो रहे थे,
जब सबको बोने के लिए पेड़ की जड़ों में मैं गया,
तो एक हरा भरा प्यारा-सा पेड़ मुझे ज़मीन से उखड़ा मिला,
आज सड़क पे चलते चलते मुझे एक हरा पत्ता मिला।


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