Chhota Bazaar
A blog from a self-diagnosed writer.
Thursday, September 29, 2016
रोज़ के काम
·
बहती हवाओं को चुटकियों से बांधा है
,
नीली-नीली रस्सियों पे सूरज को टांगा है
,
आसमान की चादर पे फीके तारे बिखेरे हैं
,
अंगूरी कुछ धागे पिरोहे
,
कुछ संतरी उधेड़े हैं।
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