नाश
ऐ विधि तेरे विधान में एक ऐसा हादसा भी
था,
जब टूट गया था हर बंधन, हर रिश्ता, हर नाता,
ऐ विधि तेरे विधान में एक ऐसा हादसा भी
था।
उन पलों की याद से दहलती ये ज़मीन, ये आसमां,
ऐ विधि तेरे विधान में एक ऐसा हादसा भी
था।
हर साँस तब शोक में डूबी हुई पुकार थी,
इंसान-इंसान का दुश्मन था, हर हाथ में तलवार थी,
दिल में नफरत की खड़ी एक अनदेखी दीवार थी,
जीते हिन्दू या मुसलमान वो इंसानियत की हार थी,
खून की नदियाँ बहीं पर किसी को उससे वास्ता
क्या था,
ऐ विधि तेरे विधान में एक ऐसा हादसा भी
था।
गगन पे भी नफरत के बादल छाए थे चारों पहर,
हर साँस से था पूछा जाए, उसका धर्म, उसका शहर,
भारत के थे दो टुकड़े हुए,
हिंदुस्तान और पाकिस्तान,
ऐ विधि तेरे विधान में एक ऐसा हादसा भी
था।
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