आसमान पे शहद बिखेरोगे तो
बादलों से चाशनी की बारिश होगी,
सितारों पे पलंग जमाओगे तो
चाँद पे चारपाई की नवाज़िश होगी,
नदियों में गोता लगाओगे तो
महासागर की लहरों पे तैरना आएगा,
पहाड़ियों पे बेबाक चड़ोगे
तभी तो पर्वत पे परचम लहराएगा,
उठो,
दौड़ो, भागो, ये ज़िंदगी जीने के लिए है,
चाहे मीठा दूध हो,
या कड़वी दवाई, ये दो घूंट पीने के लिए हैं,
सच्चाई की राह पर, दिलों
की चाह पर,
बस चलते रहो,
बढ़ते रहो,
मुश्किलों से लड़ते रहो,
वैसे भी तुम राह के
मुसाफिर हो मंज़िल के नहीं,
गर इस राह में अपनों का साथ
मिले तो मंज़िलों पे थमोगे नहीं,
चाहोगे ऐसे सफर का अंत कभी
हो नहीं।
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