Chhota Bazaar
A blog from a self-diagnosed writer.
Thursday, September 29, 2016
किस्मत और तक़दीर
·
अंजान इस खेल में
,
तुझसे हथेलियों के मेल में
,
मैंने अपनी ज़िंदगी की राह मोड़ ली
,
जब तेरी किस्मत की रेखा से
,
मैंने अपनी तक़दीर की लकीर जोड़ ली।
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