Thursday, September 29, 2016

कश्मीर का एक सैनिक

मैं कश्मीर की सीमा पे तैनात एक भारतीय सैनिक हूँ,
मैं भारत माँ का बहादुर बेटा हूँ,
मैं अपनी सरजमीं से प्यार करता हूँ।
मैं कश्मीर की सीमा पे तैनात एक भारतीय सैनिक हूँ।

मैं नास्तिक हूँ,
प्रकृति ही मेरी खुदा है,
मैं जन्नत-ए-कश्मीर बरकरार रखना चाहता हूँ,
मैं कश्मीर की सीमा पे तैनात एक भारतीय सैनिक हूँ।

मैं मज़हब के लिए नहीं लड़ रहा,
मुझे लगता था मैं गलत-सही के लिए लड़ रहा हूँ,
पर अब उसपे भी मुझे यकीन नहीं,
क्या मैं सियासत-कारियों के हाथ की कठपुतली हूँ,
अगर किसी और को कश्मीर चाहिए तो मुझे मारता क्यूँ है,
मैं भी तो कश्मीर का हिस्सा ही हूँ।
मैं कश्मीर की सीमा पे तैनात एक भारतीय सैनिक हूँ।

मुझे मरने का डर नहीं,
बस मेरा परिवार मेरी मौत का खौफ सह ले,
मैं मजबूरी में सेना में नहीं आया,
मुझे भारत माँ से प्यार है,
पर जब मेरी सरजमीं का वजूद मुझसे है,
जब मैं भारतीय हूँ तो भारत है,
तो अगर मैं ही मर गया तो क्या भारत रहेगा,
अगर मेरे सभी भाई-बहन ज़मीन के लिए मर गए,
तो क्या घर रहेगा?

मेरी ख्वाइश है के कोई किसी को ज़मीन के लिए ना मारे,
के कोई किसी को अपने या उसके भगवान के लिए ना मारे,
केवल इंसान ही ऐसा जानवर है जो एक दूसरे को ज़मीन के लिए बेवजह मारता है,
खासकर तब जब संसार में सबके रहने के लिए ज़मीन पूरी हो,
खासकर तब जब हम चिल्लाते हैं के इंसान सबसे समझदार प्राणी है,
मैं भारत माँ का बेटा हूँ, मैं उसके लिए पलक झपकने से पहले जान दूंगा,
पर मैं किसी और माँ के बेटे की जान क्यूँ लूँ,
मैं क्यूँ न सबसे घुल मिल के, इस संसार को एक देश बना के रहूँ,
मैं क्यूँ ना ज़िंदा रहूँ?
मैं कश्मीर की सेना पे तैनात एक भारतीय सैनिक हूँ।





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