जय वतन, जय वतन, जय वतन,
तुम को सच्चे हृदय से नमन,
जान से हम को प्यारे हो तुम,
ज़िंदगी के सहारे हो तू,
तुम पे कुर्बान है जानो-तन।
जय वतन, जय वतन, जय वतन।
जान बाकी रहे न रहे,
देश आज़ाद लेकिन रहे,
बहती जब तक है गंगो-जमन।
जय वतन, जय वतन, जय वतन।
तेरे दुखड़े न देखेंगे हम,
तेरे टुकड़े न देखेंगे हम,
टुकड़े- टुकड़े हो चाहे बदन।
जय वतन, जय वतन, जय वतन।
तेरे ख़ातिर जिएँ और मरें,
तुझ पे सब कुछ निछावर करें,
एकता का बने फिर चमन।
जय वतन, जय वतन, जय वतन।
सब दिलों से ये आए सदा,
शान तेरी बढ़ानी सदा,
हो ये “सौभाग्य” से सबका प्रण।
जय वतन, जय वतन, जय वतन।
-हरीश चन्द्र अरोड़ा
No comments:
Post a Comment