Thursday, September 29, 2016

दर्द

दर्द


चीर के बादल का सीना निकली जो एक शबनम की बूँद,
दिल का मेरे, मन का मेरे, छीन लिया उसने सुकून,
चीर के बादल का सीना निकली जो एक शबनम की बूँद।

दिल की गहराईयों में चुभन-सी मुझे महसूस हुई,
घायल कर दिया तन मन मेरा, घायल कर दी मेरी रूह,
चीर के बादल का सीना निकली जो एक शबनम की बूँद।

उस फ़लक से इस पलक पर, वो गिरी जो एक ख्वाब की तरह,
लिपटी तन से मेरे, वो जो एक रेंगते साँप की तरह,
दामन पर लग गए मेरे उसके अवशेष दाग़ की तरह,
तार-तार हुई मेरी साँस, दाग़ -दार हुआ मेरा लहू,
चीर के बादल का सीना निकली जो एक शबनम की बूँद।

छोड़ दिया एक पल में,
पर उसका भी न रहा नामो-निशान,
बस यही तमन्ना रह गयी कोई छोड़े न ऐसे अपना जहान,
पर फिर वही बादल का किस्सा, पर फिर वही शबनम की बूँद,
दिल ही दिल में, मन ही मन में,
इस दर्द को छुपाए रहूँ,

चीर के बादल का सीना निकली जो एक शबनम की बूँद।

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