Thursday, September 29, 2016

एक रात की याददाश्त

·         यूँ रोज़ तुझे याद करता, यूँ रोज़ भूल जाता हूँ,

रात के तारों से तेरा चेहरा बनाके, सुबह के बादलों से मिटाता हूँ।

No comments:

Post a Comment